GETTING MY HANUMAN CHALISA TO WORK

Getting My hanuman chalisa To Work

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भावार्थ – अपने तेज [शक्ति, पराक्रम, प्रभाव, पौरुष और बल] – के वेग को स्वयं आप ही सँभाल सकते हैं। आपके एक हुंकारमात्र से तीनों लोक काँप उठते हैं।

व्याख्या – श्री हनुमान जी परब्रह्म राम की क्रिया शक्ति हैं। अतः उसी शक्ति के द्वारा उन्होंने भयंकर रूप धारण करके असुरों का संहार किया। भगवान् श्री राम के कार्य में लेश मात्र भी अपूर्णता श्री हनुमान जी के लिये सहनीय नहीं थी तभी तो ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम‘ का भाव अपने हृदय में सतत सँजोये हुए वे प्रभु श्री राम के कार्य सँवारने में सदा क्रिया शील रहते थे।

Home of Tulsidas about the banks of River Ganga Tulsi Ghat Varanasi where by Hanuman Chalisa was published, a small temple is likewise Situated at This great site Tulsidas[11] (1497/1532–1623) was a Hindu poet-saint, reformer and philosopher renowned for his devotion for Rama. A composer of various popular performs, he is finest recognized for being the writer of the epic Ramcharitmanas, a retelling in the Ramayana during the vernacular Awadhi language. Tulsidas was acclaimed in his life time to get a reincarnation of Valmiki, the composer of the initial Ramayana in Sanskrit.[12] Tulsidas lived in the city of Varanasi till his Loss of life.

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

Hanuman is undoubtedly an ardent devotee of Ram and one of several central people within the renowned Hindu epic, the Ramayana

सुमिर चित्रगुप्त ईश को, सतत नवाऊ शीश। ब्रह्मा विष्णु महेश सह, रिनिहा भए जगदीश॥

Victory to Lord Hanuman, the ocean of knowledge and advantage. Victory towards the Lord that's supreme among the monkeys, illuminator from the 3 worlds.

भावार्थ – आप प्रभु श्री राघवेन्द्र का चरित्र (उनकी पवित्र मंगलमयी कथा) सुनने के लिये सदा लालायित और उत्सुक (कथारस के आनन्द में निमग्न) रहते हैं। श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता जी सदा आपके हृदय में विराजमान रहते हैं।

व्याख्या – जन्म–मरण–यातना का अन्त अर्थात् भवबन्धन से छुटकारा परमात्म प्रभु ही करा सकते हैं। भगवान् श्री हनुमान जी के वश में हैं। अतः श्री हनुमान जी सम्पूर्ण संकट और पीड़ाओं को दूर करते हुए जन्म–मरण के बन्धन से मुक्त कराने में पूर्ण समर्थ हैं।

भावार्थ – आप सारी विद्याओं से सम्पन्न, गुणवान् और अत्यन्त चतुर हैं। आप भगवान् श्री राम का कार्य (संसार के कल्याण का कार्य) पूर्ण करनेके लिये तत्पर (उत्सुक) रहते हैं।

भावार्थ – भगवान् श्री राघवेन्द्र ने आपकी बड़ी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि तुम भाई भरत के समान here ही मेरे प्रिय हो ।

“Lord Rama would be the king of all, he would be the king of yogis. He whoever will take refuge in Lord Rama you will deal with all their tasks.”

यहाँ हनुमान जी के स्वरूप की तुलना सागर से की गयी। सागर की दो विशेषताएँ हैं – एक तो सागर से भण्डार का तात्पर्य है और दूसरा सभी वस्तुओं की उसमें परिसमाप्ति होती है। श्री हनुमन्तलाल जी भी ज्ञान के भण्डार हैं और इनमें समस्त गुण समाहित हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति का ही जय–जयकार किया जाता है। श्री हनुमान जी ज्ञानियों में अग्रगण्य, सकल गुणों के निधान तथा तीनों लोकों को प्रकाशित करने वाले हैं, अतः यहाँ उनका जय–जयकार किया गया है।

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